Monday 27 February 2012

हवा .....6

दरख्त  से टूटे पात का कोई, 
अपना आसमा नहीं होता!
टकराते हैं आशियाओं  से सिर्फ हवा के झोंके,
हवाओं का कोई अपना मका नहीं होता !

लुट के सो का सवा सो नहीं होता,
बना ले चाहे कई महल लुटेरे जमी पर,
खुदा के घर में उनको कोई पनाह नहीं होता!

नजर घुमा कर तो देखिये 
मिल जायेंगे हमनजर कई!
फिर कौन कहता है ,
इशक को  कोई जुबा  नही होता......



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