Friday 13 April 2012

चैन से.....16

ना हँसना,  ना रोना ये चाहता है ,
बहुत थक गया ,
झूठी हंसी हँसते -हँसते,
अब चैन से सोना चाहता है
ना  सर पे छत की  ख़ुशी है!
है ना पेरों  में ,छाले का गम 
ना झूठे सपनो का कोई सच ,
अब ये चाहता है.!.
                            न हँसना ..... 
ना बचपन है की कहानियों    
का सहारा मिल सके !
और नए खिलोनो से 
ये दिल बहल सके !
ना उम्मीदों का हिम है  !
की किसी वादे से पिघल सके 
ना किसी के जाने का गम है !
ना आने का इंतजार किसी का 
देखना तुझे ये बस ,
अब रब चाहता है.. ..

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